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इंतज़ार -22-Nov-2024

प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 22/11/20
इंतज़ार 

वक्त के साथ 
गुज़रती जा रही सांसे,
और हम ज़िंदगी जिए 
जा रहे हैं....
हर लम्हा कम हो रही सांसे,,
और हम किसी का इंतज़ार 
करते चले जा रहे हैं।
वक्त कहां कभी रुकता है,,,?
वह तो चलता है अपनी चाल से
और पीछे छोड़ जाता है
यादों का समंदर...
जो इंतज़ार को 
और गहरा करता चला जाता है...

शाहाना परवीन 'शान'...✍️
मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश 

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2 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:07 AM

👌👌

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:41 PM

brilliant

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